इतिहास दोहराया: 2008 से 2025 तक Punjab Kings Beat RCB at the Chinnaswamy Stadium

18 अप्रैल, 2025 – ये तारीख सिर्फ एक और दिन नहीं थी, ये एक बार फिर RCB के फैंस की उम्मीदों पर बारिश की तरह बरस पड़ी। 17 साल पहले जब आईपीएल का पहला मैच खेला गया था, तब भी आरसीबी ने अपने घरेलू मैदान पर हार झेली थी और 17 साल बाद, एक बार फिर चिन्नास्वामी की मिट्टी ने RCB के आंसू पी लिए।

इतिहास दोहराया: 2008 से 2025 तक

साल 2008 में विराट कोहली एक रन बनाकर आउट हुए थे। तब RCB 82 रन पर ऑल आउट हो गई थी। साल 2025 में वही विराट कोहली, फिर से एक रन पर आउट, और टीम 95 रन पर सिमट गई — ये किसी स्क्रिप्टेड ड्रामा से कम नहीं था। बारिश ने वैसे ही रंग जमाया जैसा 2008 में हुआ था, फर्क बस इतना था कि तब भी RCB हारी थी और अब भी।

बारिश, टॉस और बदकिस्मती

चिन्नास्वामी की बारिश ने मैच को 14 ओवर का बना दिया, और टॉस ने फिर RCB का पीछा नहीं छोड़ा। इस सीजन में लगातार तीसरी बार RCB ने टॉस गंवाया और ये साबित किया कि जब किस्मत रूठती है, तो मौसम भी उसके साथ हो जाता है।

स्कोरकार्ड या मोबाइल नंबर?

RCB की बल्लेबाज़ी देखकर ऐसा लगा जैसे खिलाड़ी रन नहीं, मोबाइल नंबर बना रहे हों – 4, 1, 4, 2, 1, 8, 0, 0। बस दो नाम उभरे – रजत पाटीदार और टीम डेविड। बाकियों ने तो जैसे हार को पहले ही गले लगा लिया था। लियाम लिविंगस्टन और फिल सॉल्ट जैसे खिलाड़ी सवालों के घेरे में हैं।

टीम डेविड – अकेले चट्टान

26 गेंदों पर 50 रन – टीम डेविड ने अकेले लड़ाई लड़ी और टीम को 63/9 से 95 तक पहुंचाया। आखिरी चार गेंदों पर उनकी दो छक्कों की पारी ने मैच में जान फूंकी। इस पूरे सीजन में डेविड लगातार रन बना रहे हैं – 22(8) vs CSK, 32(18) vs GT, 37(20) vs DC और अब 50(26) vs PBKS।

हज़लवुड – बॉलिंग में अकेला चमकता सितारा

जोस हज़लवुड ने 3 ओवर में 14 रन देकर 3 विकेट झटके और एक बार फिर साबित किया कि वो RCB की गेंदबाज़ी की रीढ़ हैं। उन्होंने श्रेयस अय्यर और जोश इंग्लिश जैसे खिलाड़ियों को आउट कर RCB को मैच में वापसी दिलाई। इस सीजन में वो 12 विकेट ले चुके हैं और नूर अहमद के साथ टॉप विकेट टेकर हैं।

निहाल वडेरा – मुंबई का छोड़ा हुआ सितारा, पंजाब का चमकता तारा

19 गेंदों पर 33 रन की पारी, वो भी तब जब पंजाब के चार विकेट गिर चुके थे। निहाल वडेरा ने स्वीप, स्विच हिट और स्ट्रेट ड्राइव्स की बदौलत मैच को पलट कर रख दिया। इस सीजन में उनके स्कोर देखें – 25(43), 41, 61 – तो ये साफ है कि रोहित शर्मा का कहा हुआ “ये फ्यूचर है” अब वर्तमान बन चुका है।

श्रेयस अय्यर – फिनिशर नहीं, लीडर

77 मैच, 45 जीत – ये आंकड़े श्रेयस को एक महान कप्तान की कतार में खड़ा करते हैं। उन्होंने टीम को बैलेंस दिया है, युवा और अनुभव का मिश्रण रखा है। भले ही पिछले दो मैचों में उनका बल्ला नहीं चला, लेकिन कप्तानी से वो चमक रहे हैं। पंजाब अब पॉइंट्स टेबल पर दिल्ली के बाद दूसरे नंबर पर है।

पंजाब – आक्रामक लेकिन अस्थिर

पंजाब की जीत में कई रंग थे – निहाल वडेरा की समझदारी, शशांक सिंह की खराब शॉट से मिली सीख, स्टोइनिस की ताकत। लेकिन शुरुआती विकेट फिर चिंता का विषय हैं – प्रभसिमरन और प्रियांश आर्य लगातार फ्लॉप हो रहे हैं। वहीं इंग्लिश को मैक्सवेल की जगह मौका दिया गया, लेकिन वो भी नहीं चले।

RCB – घर में शेर नहीं, बिल्ली

RCB ने चिन्नास्वामी में अब तक 46 मैच हारे हैं – जो किसी भी टीम से ज़्यादा है। ये मैदान जो कभी RCB का किला कहलाता था, अब उनके लिए अभिशाप बन गया है। कोहली की आखिरी 16 पारियों में छह हाफ सेंचुरी हैं – वो भी बाहर के मैदानों पर। घर में सिर्फ दो बार ही दहाई का आंकड़ा पार कर सके हैं।

टीम सिलेक्शन पर सवाल

देवदत्त पडिक्कल को बाहर बिठाने का निर्णय कई लोगों को समझ नहीं आया। वहीं फिल सॉल्ट लगातार फ्लॉप हैं, फिर भी उन्हें मौका मिलता जा रहा है। ये सब बातें दर्शकों के मन में सवाल पैदा करती हैं कि क्या RCB का टीम मैनेजमेंट खुद भी हार को गले लगा चुका है?

RCB का हार का ट्रेंड

  • बनाम GT: 8 विकेट से हार
  • बनाम DC: 6 विकेट से हार
  • बनाम PBKS: 5 विकेट से हार तीन होम मैच, तीन हार। टॉस हारे, बैटिंग हारे, बॉलिंग हारे। ये सिलसिला टूटेगा भी या नहीं?

पंजाब – फाइनल की दावेदार?

दिल्ली और पंजाब – ये दो टीमें फिलहाल सेमीफाइनल की सबसे मजबूत दावेदार लग रही हैं। दिल्ली पहले नंबर पर और पंजाब दूसरे। यदि श्रेयस की टीम ये फॉर्म जारी रखती है, तो वो लगातार दूसरे साल फाइनल खेल सकती है।

निष्कर्ष – एक मैच, कई कहानियां

ये मैच सिर्फ दो पॉइंट्स का नहीं था। ये इतिहास, इमोशन, परफॉर्मेंस, और रणनीति का एक बेहतरीन मिश्रण था। जहां एक तरफ निहाल वडेरा ने अपना स्टारडम स्थापित किया, वहीं टीम डेविड ने RCB की इज्ज़त बचाई। हज़लवुड ने एक बार फिर बताया कि अनुभव क्यों ज़रूरी है, और विराट कोहली ने दुखद इतिहास को दोहराया।

अब नजरें होंगी दिल्ली और गुजरात के मुकाबले पर, लेकिन RCB – तुम्हारे लिए वक्त है सोचने का, समझने का और शायद एक बार फिर से खुद को फिर से गढ़ने का। क्योंकि फैंस अभी भी चुप नहीं हैं – और उम्मीदें बारिश में भीगती नहीं, सुलगती हैं।

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