क्रिकेट को अक्सर अनिश्चितताओं का खेल कहा जाता है, लेकिन जब इस खेल में कुछ ऐसा हो जाए जो किसी फिल्मी स्क्रिप्ट जैसा लगे, तो यकीन मानिए, वो सिर्फ खेल नहीं होता, वो सिनेमा होता है। और ऐसा ही कुछ हुआ दिल्ली कैपिटल्स और मुंबई इंडियंस के बीच इस मुकाबले में, जिसे आईपीएल 2025 के सबसे यादगार मैचों में से एक कहा जा सकता है।
शुरुआत – दिल्ली का तूफान
मैच की शुरुआत में जब दिल्ली ने बल्लेबाजी शुरू की तो ऐसा लगा कि आज का दिन पूरी तरह उनके नाम होने वाला है। करुण नायर, जिन्हें सात साल बाद एक बार फिर से आईपीएल में मौका मिला था, जैसे इस पल का इंतज़ार ही कर रहे थे। उन्होंने आते ही मुंबई के गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा दीं। पहली बॉल पर फ्रेजर मैकगर्ग आउट हुए लेकिन करुण नायर ने कमाल की पारी खेली — 40 गेंदों में 89 रन, 12 चौके, 222 का स्ट्राइक रेट।
बात सिर्फ स्कोर की नहीं थी, बात उस एहसास की थी जब करुण बुमराह जैसे वर्ल्ड क्लास गेंदबाज को भी बैकफुट पर ले आए। एक वक्त था जब दिल्ली का स्कोर था 11 ओवर में 135/2। सबको लग रहा था कि यहां से तो दिल्ली आसानी से 210-220 तक जाएगी और ये मैच मुंबई के हाथ से निकल चुका है।
मुंबई की पहली पारी – मेहनत निचले क्रम की
इससे पहले मुंबई इंडियंस ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 205 रन बनाए थे। शुरुआत थोड़ी धीमी रही। रोहित शर्मा एक बार फिर फ्लॉप रहे। उनका लापरवाह रवैया, कमजोर शॉट सेलेक्शन और विकेट थ्रो करना अब चिंता का विषय बन चुका है। लेकिन यहां निचले क्रम ने मुंबई को गेम में बनाए रखा। तिलक वर्मा और नमन धीर ने मुंबई को उस मुकाम तक पहुंचाया जहां से वे मुकाबले में बने रह सकें।
135/2 से 193 ऑल आउट – टर्निंग पॉइंट
अब कहानी वहीं से शुरू होती है जहाँ से फिल्में पलटती हैं। दिल्ली 11 ओवर में 135/2 पर थी। वहाँ से 19 ओवर में 193 ऑल आउट? जी हाँ, सिर्फ आठ ओवर में 65 रन चाहिए थे और छह विकेट बाकी थे। ऐसा लगा कि मैच दिल्ली की मुट्ठी में है।
लेकिन क्रिकेट के भगवान ने कुछ और ही सोचा था।
करण शर्मा – इंपैक्ट प्लेयर, इंपैक्ट परफॉर्मर
मुंबई के लिए टर्निंग पॉइंट बना करण शर्मा का स्पेल। उस खिलाड़ी को मुंबई बार-बार नजरअंदाज कर रही थी, लेकिन इस मैच में जब उसे मौका मिला, उसने सब कुछ बदल दिया। चार ओवर में 36 रन देकर तीन बेहद अहम विकेट — केएल राहुल, ट्रिस्टन स्टब्स और पोरल।
उसने अपनी गेंदों से वो दम दिखाया जो किसी सुपरस्टार से कम नहीं था। आर स्पिन को डग आउट से लाने का रोहित शर्मा का कॉल और करण शर्मा का स्पेल – यही इस मैच का गेम चेंजर रहा।
आखिरी ओवर्स – एब्सोल्यूट सिनेमा
अब आते हैं क्लाइमेक्स पर – आखिरी दो ओवर, सिर्फ 23 रन चाहिए थे। बुमराह के ओवर में आशुतोष शर्मा स्ट्राइक पर थे, वही खिलाड़ी जिसने लखनऊ के खिलाफ धमाल मचाया था। पहले एक डॉट, फिर दो चौके — सिर्फ तीन गेंदों में 8 रन बन गए थे। यानी 9 गेंद पर 15 रन चाहिए थे और स्ट्राइक पर थे फिनिशर आशुतोष।
सबको लग रहा था कि मैच अब खत्म है, दिल्ली जीत चुकी है। लेकिन चौथी गेंद पर आशुतोष रन के लिए भागे और रन आउट हो गए। यहीं से शुरू होता है रन आउट का सिलसिला — तीन गेंदों में तीन रन आउट। कुलदीप यादव, मोहित शर्मा – दोनों भागते हुए आउट हो गए और दिल्ली की उम्मीदें वहीं दम तोड़ गईं।
193/10 – तीन बॉल में तीन विकेट – हैट्रिक ऑफ रन आउट। ऐसा सीन क्रिकेट के इतिहास में शायद ही किसी ने देखा होगा।
बुमराह – महंगे लेकिन क्लच
हालांकि बुमराह थोड़े महंगे साबित हुए लेकिन उन्होंने वही किया जो उनसे उम्मीद की जाती है — प्रेशर ओवर में कमाल करना। उन्होंने वो विकेट दिलवाए, वो रन बचाए जहां से मैच का रुख बदल गया।
करुण नायर – लोन वॉरियर
करुण नायर के लिए मैच भले ही दिल्ली हार गई हो, लेकिन उन्होंने इस मैच को यादगार बना दिया। 7 साल बाद आईपीएल में वापसी, और आते ही लगभग शतक — 40 गेंदों में 89 रन। अगर सटनर उन्हें आउट ना करते, तो शायद ये शतक भी पूरा हो जाता और दिल्ली ये मैच जीत लेती।
उन्होंने बुमराह को जैसे खेला, वो देखने लायक था — चार, सिंगल, डॉट, डॉट, फिर चौका। ये उस क्लास की झलक थी जो उन्होंने रणजी, विजय हजारे और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में दिखाई है।
मुंबई इंडियंस – उम्मीद की नई किरण
इस जीत से मुंबई को न सिर्फ पॉइंट्स टेबल पर राहत मिली, बल्कि एक नई ऊर्जा भी मिली। वो टीम जो अब तक लगातार हार रही थी, वो अचानक से वापसी कर गई।
मुंबई अब पॉइंट्स टेबल पर नंबर सात पर आ गई है और दिल्ली नंबर एक से फिसल कर नंबर दो पर।
और ये याद रखो: जब भी मुंबई इंडियंस ने आईपीएल में 200+ रन बनाए हैं, उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी। अब तक 15 बार जब भी उन्होंने 200 से ज्यादा बनाए हैं, वो मैच जीते हैं। और इस बार भी वो सिलसिला जारी रहा।
दिल्ली के लिए सवाल
बड़े स्कोर के बाद भी मैच हार जाना, वो भी जब 65 रन सिर्फ आठ ओवर में चाहिए थे, टीम मैनेजमेंट के लिए चिंता का विषय है। खासकर जिस तरह से रन आउट हुए – वो दिखाता है कि मानसिक दबाव को हैंडल करने में चूक हो रही है।
रोहित शर्मा – सवाल बरकरार
इस पूरी जीत के बीच एक चिंता की बात रोहित शर्मा की फॉर्म भी है। हर बार वही पैटर्न – शुरुआत में ठीक खेलने के बाद गैर जिम्मेदाराना शॉट और विकेट गंवाना। उन्हें अब कप्तान नहीं, लेकिन सीनियर खिलाड़ी के तौर पर जिम्मेदारी लेनी होगी।
हार्दिक पांड्या – कड़ा फैसला, बड़ा नतीजा
हार्दिक पांड्या को भी इस जीत से थोड़ी राहत मिली होगी। कप्तान के रूप में वो आलोचनाओं का सामना कर रहे थे, लेकिन इस मैच में उनकी कप्तानी और बेंच से लिए गए फैसले (जैसे करण शर्मा को खिलाना) ने टीम को जीत दिलाई।
फील्डिंग – गेम का गुप्त हीरो
17वें ओवर के बाद मुंबई की फील्डिंग कमाल की रही। रन आउट्स हो या डीप में शानदार कैचेस – फील्डिंग ने वही किया जो किसी फिल्म के क्लाइमेक्स में हीरो करता है – सब खत्म होने के बाद भी वापसी।
निष्कर्ष – एक मैच, एक कहानी, एक फिल्म
अगर इस मैच को एक वाक्य में समेटना हो तो वही पुरानी लेकिन अमर लाइन कहनी होगी —
“इट्स नॉट ओवर अनटिल इट्स ओवर”।
दिल्ली ने मैच जीता नहीं, उन्होंने “गंवा दिया”। और मुंबई ने मैच “लड़ा नहीं, छीन लिया”। ये सिर्फ एक जीत नहीं थी, ये एक स्टेटमेंट था — कि मुंबई वापस आ गई है।
इस तरह के मैच ही आईपीएल को खास बनाते हैं। इसमें सिर्फ रन और विकेट नहीं होते, इसमें इमोशन्स होते हैं, कहानियां होती हैं, वापसी होती है