थाला फॉर अ रीजन – 43 की उम्र में फिर पलटा आईपीएल, और चेन्नई सुपर किंग्स ने कहा – I WIN!
“फिनिश इट इन स्टाइल!”
ये शब्द कानों में गूंजे तो सही, लेकिन कितने साल बीत गए थे इनका असर महसूस किए हुए। 2011 का वर्ल्ड कप, फिर वो 2018 का आईपीएल, और फिर धीरे-धीरे जैसे क्रिकेट से वो आवाज़ फीकी पड़ती चली गई। पर बीती रात फिर वही थर्राहट लौटी – वो स्ट्राइक रेट, वो आत्मविश्वास, वो करिश्मा – और धोनी के बल्ले ने फिर कहा, “मैं अब भी खेल में हूं, और खेल अभी बाकी है मेरे दोस्त।”
2025 के इस अब तक के सबसे उबाऊ आईपीएल में रोमांच की बत्ती जलाने के लिए दो सबसे बड़ी टीमें मैदान में उतरीं – मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स। एक रात पहले मुंबई ने कमाल का मैच जीता, और अगली ही शाम चेन्नई ने वो कर दिखाया जिससे इस सीज़न को नई जान मिली। क्या ये सीज़न का टर्निंग पॉइंट है? क्या ये आईपीएल की नई शुरुआत है? शायद हां – और इसकी वजह एक ही नाम है – महेंद्र सिंह धोनी।
धोनी का धमाका: 11 गेंद, 26 रन – और पूरा मैच पलट गया
लखनऊ सुपरजायंट्स ने 166 रन बनाए थे। कोई खास स्कोर नहीं, लेकिन चेन्नई की बैटिंग लाइन-अप ने हारने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी। एक छोर पर शेख रशीद ने जूझने की कोशिश की, पर बाकियों की हालत देखकर लग रहा था कि मैच हाथ से फिसल गया। जडेजा चार नंबर पर आए – लेकिन फ्लॉप। दुबे शुरू में संघर्ष करते दिखे, और तब मैदान में उतरे थाला – 43 साल 281 दिन के धोनी।
अगले कुछ मिनटों में ऐसा लगा जैसे वक्त थम गया हो। 11 गेंदों पर 26 रन, लेकिन जिस तरह के शॉट्स थे, जिस आत्मविश्वास से मारे गए थे, वो देखकर रोंगटे खड़े हो गए। गेंदबाज कंफ्यूज़, फील्डर्स जड़, और पूरा स्टेडियम पीले रंग में डूबा – इकाना स्टेडियम में ‘थाला’ ने तहलका मचा दिया।
रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड – लेकिन असली जीत सम्मान की थी
इस पारी के साथ धोनी बने सबसे उम्रदराज मैन ऑफ द मैच जीतने वाले खिलाड़ी – 43 साल और 281 दिन। इससे पहले ये रिकॉर्ड था प्रवीण तांबे के नाम (43 साल, 60 दिन)। और यही नहीं, धोनी ने अब तक के अपने 18वें मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड के साथ विराट कोहली के बराबरी कर ली – जो बताता है कि ‘लास्ट ओवर’ का स्पेशलिस्ट आज भी कितना खतरनाक है।
धोनी ने सिर्फ बैट से ही नहीं, विकेट के पीछे भी कमाल किया – आयुष बडोनी की स्टंपिंग के साथ 200वां डिसमिसल किया। एक रन आउट भी झटका – यानी बल्ला और ग्लव्स दोनों से कप्तान कूल ने वो कर दिखाया जो आज की जनरेशन के प्लेयर्स से नहीं हो पा रहा।
ऋषभ की रणनीति पर उठे सवाल – बिश्नोई का एक ओवर बचा क्यों?
इस मैच में एक सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब रवि बिश्नोई, जिन्होंने अपने तीन ओवर में सिर्फ 18 रन देकर दो विकेट लिए थे (जडेजा और त्रिपाठी जैसे बल्लेबाज), उनका एक ओवर बचा रह गया। और वही धोनी के सामने इस्तेमाल नहीं किया गया। क्यों? जब धोनी स्पिन के खिलाफ शुरुआत में जूझते हैं, वहां बिश्नोई को लगाया जाना चाहिए था।
ऋषभ पंत, जो खुद बल्ले से अच्छा खेले (63 रन, 49 गेंद), लेकिन कप्तानी में मात खा गए। उनका स्ट्राइक रेट भी एक मुद्दा बना, खासकर पारी के पहले हिस्से में। और यही मैच का रुख पलट गया। धोनी ने वही किया, जो वो 20 साल से करते आ रहे हैं – मैच को पकड़ना, जमाना, और फिर खत्म करना।
सीएसके के लिए क्या ये कमबैक का संकेत है?
चेन्नई पिछले पांच मैच हार चुकी थी। ये जीत अगर एक चिंगारी है, तो क्या ये पूरे सीज़न में आग लगा सकती है? 2016 में मुंबई ने शुरुआत में 6 में से 5 मैच हारे थे, फिर ट्रॉफी जीत ली थी। क्या चेन्नई उस कहानी को दोहराएगी?
कमबैक आसान नहीं होगा, क्योंकि बीच का मिडिल ऑर्डर एक बड़ी टेंशन है – विजय शंकर, दीपक हुड्डा, राहुल त्रिपाठी – इनका प्रदर्शन इतना खराब रहा है कि दिग्विवेश राठी तक ने विकेट लेने के बाद सेलिब्रेशन नहीं किया! और जब बॉलर भी मान जाए कि ये बल्लेबाज खतरा नहीं है – तब टीम को बदलाव की जरूरत होती है।
शेख रशीद – नई उम्मीद की एक झलक
इस मैच में एक और पॉजिटिव साइन था – शेख रशीद, जिन्होंने 20 साल और 202 दिन की उम्र में डेब्यू किया और अच्छा खेल दिखाया। वो अब तक के सबसे यंग डेब्यू करने वाले सीएसके खिलाड़ी बन गए। इससे पहले ये रिकॉर्ड श्याम करन के पास था।
रशीद ने पावरप्ले में आक्रामक शुरुआत दी – और चेन्नई ने 6 ओवर में 59 रन बनाए – जो बताता है कि ऊपर की ओपनिंग सॉलिड है, पर नीचे गहराई में प्रॉब्लम है।
धोनी की 2025 आईपीएल इनिंग्स – कम खेल, ज्यादा इम्पैक्ट
अब तक धोनी की पारी देखो:
- 16 गेंद 30 रन
- 11 गेंद 16 रन
- 26 गेंद 30 रन
- 12 गेंद 27 रन
- 11 गेंद 26 रन
हर पारी छोटी लेकिन मैच की दिशा तय करने वाली। और इस सीज़न में धोनी ने 8 छक्के लगाए हैं – जो उन्हें टॉप 5 में ले आता है। सिर्फ क्लासन उनके बराबर हैं। बाकी जैसे हार्दिक पंड्या (5), रोहित (3), स्टोइनिस (6), संजू सैमसन (7), शुभमन गिल (6) सब पीछे।
एलएसजी की समस्याएं – पूरन पर ओवरडिपेंडेंसी
जहां चेन्नई का मिडल ऑर्डर डूबा हुआ है, वहीं लखनऊ की टीम पूरन, माकरम और स्टॉइनिस पर बहुत ज्यादा निर्भर है। और जब पूरन फ्लॉप होते हैं (जैसे इस मैच में), तो पूरी टीम बिखर जाती है।
एलएसजी का रिकॉर्ड कहता है – जब वो 160-170 बनाते हैं, वो मैच हार जाते हैं। और ये पिछले 4 मैचों में ट्रेंड बन गया है।
थाला का असर – सिर्फ मैदान पर नहीं, दिलों पर भी
जब एक खिलाड़ी 43 साल की उम्र में भी आपकी टीम का सबसे भरोसेमंद मैच विनर हो, तब उसका नाम ‘थाला’ फॉर अ रीजन क्यों है, ये समझ आता है। धोनी सिर्फ रन नहीं बना रहे – वो माहौल बना रहे हैं। वो टीम को आगे बढ़ने का रास्ता दिखा रहे हैं। और शायद इसीलिए धोनी के फैंस कहते हैं – “जब तक धोनी है, उम्मीद बाकी है।”
निष्कर्ष – आईपीएल 2025 अब शुरू हुआ है!
अब जब मुंबई और चेन्नई दोनों जीत गई हैं, अब जब धोनी फिर मुस्कुरा रहे हैं, अब जब स्टेडियम ‘धोनी…धोनी…’ से गूंज रहा है – तो कह सकते हैं कि आईपीएल अब असली रोमांच में आ गया है।
पर चेतावनी ये भी है कि सिर्फ धोनी पर भरोसा मत रखो। टीम को बीच के गड्ढे भरने होंगे। नए खिलाड़ियों को मौका देना होगा। और तभी ये कमबैक सिर्फ एक जीत नहीं रहेगा – ये ट्रॉफी तक ले जाएगा।
क्योंकि –
“धोनी है, तो मुमकिन है।”
और चेन्नई है, तो फिनिशिंग टच भी क्लासिक होगा।