“करुण नायर – कौन हैं

“करुण नायर: सात साल की चुप्पी, फिर ऐसा गूंजा कि बुमराह भी झुंझला उठे”

“अपनी जीत का तू इतना भी गुमान ना कर बेखबर,
क्योंकि इस शहर में तेरी जीत से ज्यादा मेरी हार के चर्चे हैं…”

शब्दों की ये गहराई उस खिलाड़ी पर बिल्कुल फिट बैठती है, जिसने ना सिर्फ मैदान में रन बनाए, बल्कि दिलों में अपनी जगह फिर से बना ली – करुण नायर।

जब एक ‘हार’ से लोगों का दिल टूटे और ‘इंसान’ जीत जाए

दिल्ली कैपिटल्स हार गई, और मुंबई इंडियंस ने मुकाबला जीत लिया, लेकिन अगर आप सोशल मीडिया या क्रिकेट फैंस की बातें सुनेंगे, तो लगेगा कि असली जीत करुण नायर की थी।
लोगों ने कहा – “दिल्ली हारी, दुख हुआ… लेकिन करुण नायर के लिए दिल से ताली बजाई।”

क्यों?
क्योंकि ये सिर्फ एक 40 गेंदों पर 89 रन की पारी नहीं थी – ये वापसी थी, संघर्ष की जीत थी। ये साबित करना था कि “मौका मिलना चाहिए, और अगर मिले तो उसे ऐसे पकड़ो कि फिर कोई सवाल ही ना उठे।”

एक ट्वीट से शुरू हुई वापसी की कहानी

10 दिसंबर 2022 को करुण नायर ने ट्वीट किया था –
“Dear Cricket, Give me one more chance.”

सोचिए, एक खिलाड़ी जिसने ट्रिपल सेंचुरी बनाई थी, वो दुनिया से एक और मौका मांग रहा था।
उसके बाद करुण ने मैदान में, डोमेस्टिक क्रिकेट में, हर टूर्नामेंट में एक ही जवाब दिया –
“मैं तैयार हूं।”

2024-25 का संघर्ष – अंधेरे में चमकते हुए

करुण नायर ने रणजी ट्रॉफी 2024 में 863 रन बनाए, औसत था 53 का।
विजय हजारे में 8 मैच में 379 रन – लगभग 47 के औसत से।
सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में उनका स्ट्राइक रेट 140 से ऊपर रहा।

फिर भी आईपीएल में उन्हें बेंच पर बैठाया गया।
चाहे वो किसी भी फ्रेंचाइज़ी में हों – उन्हें बस “बैकअप” समझा गया।
लेकिन कहते हैं ना, “जिसे सब रिज़र्व समझते हैं, वही रिज़र्व फोर्स बनकर सामने आता है।”

2025 – तारीख 14 अप्रैल – वो दिन जब करुण नायर चीख पड़े बल्ले से

दिल्ली का पहला ही मैच था, और करुण इम्पैक्ट प्लेयर के तौर पर मैदान में आए।
और फिर जो हुआ, वो स्क्रिप्टेड फिल्म जैसा था।
बुमराह, ट्रेंट बोल्ट, नेहल वढेरा – सबके खिलाफ करुण का जवाब एक ही था – बल्ला।

उनकी बैटिंग में वो क्लास था, जो आजकल कम दिखता है।
कवर ड्राइव हो या स्क्वायर कट, बुमराह की यॉर्कर हो या स्लोअर वन – करुण की हर मूवमेंट पर कंट्रोल था।
फुटवर्क, टाइमिंग और शॉट सेलेक्शन – सब कुछ जैसे मास्टरक्लास हो।

40 गेंदों में 89 रन। 12 चौके।
22 गेंदों में अर्धशतक।
अगर टीम साथ देती, तो शतक भी लग सकता था।

बुमराह को नाराज़ करना आसान नहीं – लेकिन करुण कर गए

इस मैच का एक पल बहुत वायरल हुआ – जब रन लेते हुए करुण का हाथ बुमराह से लग गया और बुमराह गुस्से में कुछ कह बैठे।
पर असली बात ये नहीं थी कि हाथ लगा…
असल बात ये थी कि बुमराह, जो आमतौर पर शांत रहते हैं, वो झुंझलाए हुए थे।

क्यों?

क्योंकि करुण की बल्लेबाज़ी उन्हें उकसा रही थी।
बल्ला इतना बोल रहा था कि बॉलर के पास कोई जवाब नहीं था।
और यही तो परफॉर्मेंस होती है – जब आप विपक्षी को उनकी फॉर्मूलाबाजी से बाहर कर दें।

7 साल का इंतजार, 40 गेंद की गर्जना

आईपीएल में आखिरी अर्धशतक सालों पहले आया था।
अब 2025 में जब ये पारी खेली गई, तो स्टेडियम में हर कोई खड़ा हो गया।

करुण नायर – जिसे सहवाग के बाद ट्रिपल सेंचुरी बनाने वाला खिलाड़ी कहा जाता था, वो एक समय भुला दिया गया।
ना IPL में जगह, ना इंडिया की टीम में बैकअप के लायक समझा गया।

पर अब? अब लोग कह रहे हैं –
“करुण नायर को इंग्लैंड दौरे पर ले जाना चाहिए।”

दिल्ली हारी, लेकिन दिल जीत गया

दिल्ली का स्कोर था 135/2 और जीत नज़दीक लग रही थी।
लेकिन जब एक के बाद एक विकेट गिरे, तब करुण अकेले लड़ते रहे।
लास्ट बॉल तक टिके।
लेकिन जब दूसरे छोर से सपोर्ट नहीं मिला, तो टीम हार गई।

मगर लोग क्या कह रहे हैं?

“करुण नायर अकेला लड़ा, और पूरे स्टेडियम ने खड़े होकर ताली बजाई।”

डोमेस्टिक क्रिकेट – जो निखारता है हीरा

करुण नायर की पारी इस बात की मिसाल है कि डोमेस्टिक क्रिकेट को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
वो सालों-साल वहां खेलते रहे, रन बनाते रहे, और इंतजार करते रहे – सिर्फ एक मौके का।

आज उन्होंने उस मौके को ऐसे भुनाया, जैसे कोई भूखा पानी देखे।
ये पारी सिर्फ IPL की नहीं थी, ये भारतीय क्रिकेट सिस्टम को आईना दिखाने वाली पारी थी।

सिद्धू पाजी की बात – “जंगल में मोर नाचा, किसने देखा?”

अब सब देख रहे हैं, अब सब बोल रहे हैं।
करुण नायर की क्लास को आखिरकार स्पॉटलाइट मिल रही है।
जो खिलाड़ी पहले हेडलाइंस से गायब था, आज हर जगह ट्रेंड कर रहा है।

ये सिर्फ खेल नहीं – भावना है

आरसीबी के देवदत्त पडिक्कल ने ट्वीट किया – “Great player.”
कमेंट्री में आकाश चोपड़ा ने कहा – “बल्लेबाजी में कविता दिखी।”

और जो फैंस हैं, वो तो बिल्कुल भावुक हैं – क्योंकि हम सब करुण में खुद को देखते हैं।
एक ऐसा इंसान, जो सालों चुप रहा, मेहनत करता रहा, और फिर एक दिन छा गया।

अब अगर नहीं खिलाओगे, तो कब?

भारतीय क्रिकेट बोर्ड और चयनकर्ताओं को अब गंभीरता से सोचना होगा।
करुण नायर और साईं सुदर्शन, ये दो नाम ऐसे हैं जो भारतीय टेस्ट टीम में जगह डिज़र्व करते हैं।

करुण नायर को बार-बार नजरअंदाज करना – वो भी तब जब उनका ट्रैक रिकॉर्ड लगातार अच्छा रहा है – ये सिर्फ राजनीति हो सकती है, क्रिकेट नहीं।

आज वो मौका मांग रहे थे, कल उनके बिना टीम अधूरी लगेगी।

करुण नायर की कहानी – प्रेरणा की मिसाल

इस पूरी कहानी में हमें एक बात समझ में आती है –
“टैलेंट कभी मरता नहीं, वो बस टाइमिंग का इंतजार करता है।”

करुण नायर ने अपने बलबूते वो वक्त चुना – जब वो आए, खेले और सबको चौंका दिया।
अब वक्त है कि इंडिया टीम उसे दोबारा अपनाए।

निष्कर्ष – करुण नायर, तुम सिर्फ खिलाड़ी नहीं… कहानी हो

तुम वो कहानी हो जो बताती है कि “एक बार गिरे तो क्या हुआ, अगर उठने की हिम्मत बाकी है।”
तुम वो उम्मीद हो, जो हर घरेलू खिलाड़ी को कहती है – “सिर्फ मेहनत करते रहो, मौका आएगा।”

आज तुमने सिर्फ रन नहीं बनाए, तुमने हर उस सपने को आवाज़ दी है जो डगमगाता है।


तो चलिए उम्मीद करें, अगली बार करुण नायर जब मैदान में हों, तो उनकी जर्सी के पीछे सिर्फ नाम नहीं… एक नई पहचान भी हो – “करुण – द कमबैक किंग”।

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